Sunday, 8 June 2025

मैं फ़ेसबुक और व्हाट्सएप पर आत्मप्रेरणा से जो कुछ भी लिखता हूँ वह मेरा स्वयं के साथ एक सत्संग है।

मैं फ़ेसबुक और व्हाट्सएप पर आत्मप्रेरणा से जो कुछ भी लिखता हूँ वह मेरा स्वयं के साथ एक सत्संग है। निरंतर वह मुझे परमात्मा की चेतना में रखता है। मैं स्वयं की संतुष्टि के लिए ही लिखता हूँ। किसी भी तरह का आर्थिक / लौकिक लाभ इसके बदले में नहीं लेता। जो मेरे लेखों को पढ़ते हैं, मैं उनका आभारी हूँ, वे मुझे प्रोत्साहित कर रहे हैं। धन्यवाद !!

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प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो |
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार करो ||
एक लोहा पूजा मे राखत, एक घर बधिक परो |
सो दुविधा पारस नहीं देखत, कंचन करत खरो ||
एक नदिया एक नाल कहावत, मैलो नीर भरो |
जब मिलिके दोऊ एक बरन भये, सुरसरी नाम परो ||
एक माया एक ब्रह्म कहावत, सुर श्याम झगरो |
अबकी बेर मोही पार उतारो, नहि पन जात तरो || (कवि : सूरदास)

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