हारिये ना हिम्मत, बिसारिये न हरिः नाम ---
जब भी समय मिले, कूटस्थ सूर्यमण्डल में पुरुषोत्तम का ध्यान करें। आध्यात्म की परावस्था में रहें। सारा जगत ही ब्रह्ममय है। किसी भी परिस्थिति में परमात्मा की उपासना न छोड़ें। पता नहीं कितने जन्मों में किए हुए पुण्य कर्मों के फलस्वरूप हमें भक्ति का यह अवसर मिला है। कहीं ऐसा न हो कि हमारी उपेक्षा से परमात्मा को पाने कीअभीप्सा ही समाप्त हो जाए।
राष्ट्र की रक्षा हमारा धर्म है। धर्म की रक्षा उसके पालन से ही होगी। तभी भगवान हमारी रक्षा करेंगे। अपने स्वधर्म पर हम अडिग रहें।
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं ---
"श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।
स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः॥३:३५॥"
"नेहाभिक्रमनाशोऽस्ति प्रत्यवायो न विद्यते।
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एक नए युग का आरंभ हो चुका है। गत दो सहस्त्र वर्षों से संतुलन आसुरी शक्तियों के पक्ष में था। अब संतुलन दैवीय शक्तियों के पक्ष में हो गया है। भारत से असत्य और अंधकार की शक्तियों का शनैः शनैः ह्रास सुनिश्चित है। हम अपने स्वधर्म पर डटे रहें और असत्य का सामना करते हुए सत्य को राष्ट्र व निज जीवन में अवतरित करें। "हम एक परमवैभवशाली नए भारत का निर्माण करेंगे।"
ॐ तत्सत् !! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
६ मई २०२०
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