सनातन धर्म ही भारत की राजनीति, और हम सब का जीवन भी होगा ---
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कोई मेरी बात सुने या न सुने, इससे कोई अंतर नहीं पड़ता। लेकिन एक दिन ऐसा भी आएगा जिस दिन सनातन धर्म ही भारत की राजनीति होगा। सनातन धर्म ही भारत की राजनीति हो सकता है। धर्म-विहीन राजनीति विकृतियों को जन्म देने वाली होती है। सनातन धर्म ही हमारा स्वधर्म भी है।
हमारा स्वधर्म है -- निज जीवन में परमात्मा से परमप्रेम, परमात्मा को पाने की अभीप्सा और परमात्मा की यथासंभव पूर्ण अभिव्यक्ति।
पाप और पुण्य क्या है? --- जब हम परमात्मा की चेतना में होते हैं, तब हमारे माध्यम से परमात्मा जो भी कार्य करते हैं, वह पुण्य होता है। जब हम राग-द्वेष, लोभ और अहंकार के वशीभूत होकर कुछ भी कार्य करते हैं, वह पाप होता है।
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हमारे जीवन में परमात्मा से परमप्रेम पूर्ण रूप से व्यक्त हो। इससे अतिरिक्त अन्य कोई भाव सार्थक नहीं है। हमारा एकमात्र शाश्वत सम्बन्ध परमात्मा से है। जन्म से पूर्व भी उन्हीं से संबंध था और मृत्यु के पश्चात भी उन्हीं से रहेगा। यह भगवान का प्रेम ही था जो हमें माँ-बाप, भाई-बहिन, सगे-सम्बन्धियों और मित्रों के माध्यम से प्राप्त हुआ। यह एक मायावी भ्रम है कि कोई अपना-पराया है। गुरु-शिष्य का सम्बन्ध भी परमात्मा से ही सम्बन्ध है। गुरू भी एक निश्चित भावभूमि तक ले जा कर छोड़ देता है, आगे की यात्रा तो स्वयं को ही करनी पडती है। फिर न तो कोई गुरु है और न कोई शिष्य, एकमात्र परमात्मा ही सब कुछ है। सारे सम्बन्ध एक भ्रम मात्र हैं।
हे महापुरुष, मैं आपके चरणों की वंदना करता हूँ। मैं आपके साथ एक हूँ। आपकी जय हो। ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१२ मार्च २०२३
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