Saturday, 21 June 2025

अब जीवन के प्रति मेरा दृष्टिकोण बदल गया है ---

अब जीवन के प्रति मेरा दृष्टिकोण बदल गया है। मेरे पास समय और स्थान की कोई कमी नहीं है। जीवन अनंत है। कहीं भी जीवन का अंत नहीं है। समय ही समय है। परमात्मा का सारा समय मेरा ही समय है। इस पृथ्वी ग्रह से ही बंधा हुआ मैं नहीं हूँ। सारा ब्रह्मांड और सारी अनंतता मेरा ही विस्तार है। अब आने वाला सारा समय परमात्मा को समर्पित है।

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भगवान सच्चिदानंद हैं। उनके साथ खूब सत्संग करेंगे। जितनी इस शरीर की क्षमता है, उसके अनुसार यात्राएं भी करेंगे। अनेक प्रेमी तपस्वी साधु-संतों और सत्संगी मित्रों से भी मिलेंगे, व उनका सत्संग लाभ लेंगे।
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जीवन में आनंद ही आनंद है। कहीं कोई कमी नहीं है। शास्त्रों में जिस भूमा-तत्व की बात बताई गयी है, वह प्रत्यक्ष रूप से अब समक्ष है। परमात्मा से ही एकमात्र संबंध रह गया है। उन्हीं से अब सारा व्यवहार है, अन्य किसी से नहीं। जिस विमान से यह लोकयात्रा कर रहा हूँ, उसके पायलट स्वयं भगवान वासुदेव हैं। यह विमान भी वे ही हैं।
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ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२२ जून २०२३

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