Tuesday, 10 June 2025

भगवान को पाने की अभीप्सा, भगवान से परमप्रेम, और एक अतृप्त आध्यात्मिक प्यास -- सनातन धर्म को विजयी बनायेगी ---

 भगवान को पाने की अभीप्सा, भगवान से परमप्रेम, और एक अतृप्त आध्यात्मिक प्यास -- सनातन धर्म को विजयी बनायेगी ---

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मनु-स्मृति में बताए हुए धर्म के दस लक्षणों का विलोम ही असुरत्व है। यह असुरत्व ही सनातन धर्म का सबसे बड़ा शत्रु है। असुरत्व का सबसे बड़ा अस्त्र है -- कामुकता, और देवत्व का सबसे बड़ा अस्त्र है -- आध्यात्मिक प्यास। यह आध्यात्मिक प्यास ही सनातम धर्म की सबसे बड़ी शक्ति है। यह आध्यात्मिक प्यास, अभीप्सा और भगवत्-प्राप्ति के लिए तड़प ही सत्य-सनातन-धर्म को विजय दिलाएगी। सनातन धर्म के सिवाय अन्य सारे अभारतीय मत/पंथ/सम्प्रदाय विपन्न हैं। उनके पास मनुष्य की आध्यात्मिक प्यास को बुझाने के लिए कुछ भी नहीं है।
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यह असत्य का अंधकार तभी तक है, जब तक सनातन धर्म के बारे में विश्व को कोई प्रामाणिक जानकारी नहीं है, और जो भी जानकारी है वह भ्रामक है। हमारी आध्यात्मिक प्यास को ही नष्ट करने के लिए ही आसुरी शक्तियाँ भारत में कामुकता को बढ़ावा दे रही हैं।
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यह धर्मयुद्ध हमें अकेले ही लड़ना पड़ेगा। भगवान हमारे मार्गदर्शक हैं, कोई भी अन्य साथ नहीं है। देवासुर संग्राम है। दैवीय और आसुरी प्रवृत्तियों के बीच संघर्ष है। असुर पथ परम अंधकारमय है, और देवपथ परम ज्योतिर्मय।
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भारत के अधिकांश बड़े-बड़े राजनेता और पूँजीपति हिन्दूद्रोही थे और हैं। वे अंग्रेजों के मानसपुत्र हैं। उद्योगपतियों में सिर्फ एक डालमिया जी ही हिंदुत्वनिष्ठ थे जिन्हें दुर्भावनावश नेहरू ने बर्बाद कर दिया। अच्छी गुणवत्ता का सामान बनाकर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भी हमें पूरे विश्व में छाना होगा। हमें अपने धर्म की शिक्षा भी देनी होगी ताकि हमारा स्वाभिमान जागृत हो।
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सनातन धर्म के पास सबसे बड़ी पूंजी है - "आध्यात्म"। यदि भारत का धर्मविमुख सत्ताधारी वर्ग सही अर्थ में सनातन धर्मनिष्ठ बन जाय तो पूरे विश्व को सनातनी बनने में देर नहीं लगेगी। अमेरिका और ब्रिटेन स्वभाववश भारत के शत्रु हैं। अमरीका और ब्रिटेन आसुरी शक्तियाँ है जो अपने ही बोझ तले दम तोड़ देंगी।
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पश्चिमी जगत के लिए सबसे बड़ा खतरा हिन्दुत्व है, विशेषकर भारत का ब्राह्मणवर्ग। इसलिए योजनाबद्ध तरीके से ब्राह्मणों को धर्म-विमुख और विपन्न बनाया गया है।
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कृपया इस पर विचार करें। भारत विजयी हो, सत्य-सनातन-धर्म विजयी हो !!
जय हिन्दू राष्ट्र !! भारत माता की जय !! हरिः ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
१० जून २०२२
मनु-स्मृति में बताए हुए धर्म के दस लक्षणों का विलोम ही असुरत्व है। यह असुरत्व ही सनातन धर्म का सबसे बड़ा शत्रु है। असुरत्व का सबसे बड़ा अस्त्र है -- कामुकता, और देवत्व का सबसे बड़ा अस्त्र है -- आध्यात्मिक प्यास। यह आध्यात्मिक प्यास ही सनातम धर्म की सबसे बड़ी शक्ति है। यह आध्यात्मिक प्यास, अभीप्सा और भगवत्-प्राप्ति के लिए तड़प ही सत्य-सनातन-धर्म को विजय दिलाएगी। सनातन धर्म के सिवाय अन्य सारे अभारतीय मत/पंथ/सम्प्रदाय विपन्न हैं। उनके पास मनुष्य की आध्यात्मिक प्यास को बुझाने के लिए कुछ भी नहीं है।
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यह असत्य का अंधकार तभी तक है, जब तक सनातन धर्म के बारे में विश्व को कोई प्रामाणिक जानकारी नहीं है, और जो भी जानकारी है वह भ्रामक है। हमारी आध्यात्मिक प्यास को ही नष्ट करने के लिए ही आसुरी शक्तियाँ भारत में कामुकता को बढ़ावा दे रही हैं।
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यह धर्मयुद्ध हमें अकेले ही लड़ना पड़ेगा। भगवान हमारे मार्गदर्शक हैं, कोई भी अन्य साथ नहीं है। देवासुर संग्राम है। दैवीय और आसुरी प्रवृत्तियों के बीच संघर्ष है। असुर पथ परम अंधकारमय है, और देवपथ परम ज्योतिर्मय।
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भारत के अधिकांश बड़े-बड़े राजनेता और पूँजीपति हिन्दूद्रोही थे और हैं। वे अंग्रेजों के मानसपुत्र हैं। उद्योगपतियों में सिर्फ एक डालमिया जी ही हिंदुत्वनिष्ठ थे जिन्हें दुर्भावनावश नेहरू ने बर्बाद कर दिया। अच्छी गुणवत्ता का सामान बनाकर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भी हमें पूरे विश्व में छाना होगा। हमें अपने धर्म की शिक्षा भी देनी होगी ताकि हमारा स्वाभिमान जागृत हो।
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सनातन धर्म के पास सबसे बड़ी पूंजी है - "आध्यात्म"। यदि भारत का धर्मविमुख सत्ताधारी वर्ग सही अर्थ में सनातन धर्मनिष्ठ बन जाय तो पूरे विश्व को सनातनी बनने में देर नहीं लगेगी। अमेरिका और ब्रिटेन स्वभाववश भारत के शत्रु हैं। अमरीका और ब्रिटेन आसुरी शक्तियाँ है जो अपने ही बोझ तले दम तोड़ देंगी।
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पश्चिमी जगत के लिए सबसे बड़ा खतरा हिन्दुत्व है, विशेषकर भारत का ब्राह्मणवर्ग। इसलिए योजनाबद्ध तरीके से ब्राह्मणों को धर्म-विमुख और विपन्न बनाया गया है।
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कृपया इस पर विचार करें। भारत विजयी हो, सत्य-सनातन-धर्म विजयी हो !!
जय हिन्दू राष्ट्र !! भारत माता की जय !! हरिः ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
१० जून २०२२

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