Saturday, 31 May 2025

अन्तर्रात्मा में बड़ी तड़फ है परमात्मा को प्राप्त होने की, लेकिन अन्तःकरण बहुत दुर्बल है ---

 अन्तर्रात्मा में बड़ी तड़फ है परमात्मा को प्राप्त होने की, लेकिन अन्तःकरण बहुत दुर्बल है ---

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स्वयं का अन्तःकरण (मन बुद्धि चित्त अहंकार) ही धोखा दे रहा है। ईसाई मज़हब का एक वाक्यांश है -- "The Soul is willing but the flesh is weak." व्यक्ति कुछ अच्छा करना चाहता है, और बुराई से बचना चाहता है, लेकिन भौतिक और मानसिक रूप से स्वयं को असमर्थ पाता है। यह ऊर्जा और उत्साह की कमी दिखाता है। कुछ ऐसा ही हो रहा है मेरे साथ। लेकिन कोई भी कमी हो वह मुझे परमात्मा को प्राप्त करने से रोक नहीं सकती।
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मैं जिस नौका से यह भवसागर पार कर रहा हूँ, उसमें करोड़ों छिद्र हैं। झंझावातों से ग्रस्त यह रात अंधेरी है, जहाँ कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है। गुरु महाराज को ही कर्णधार बना दिया है। इस नौका के वे ही कर्णधार है। इस घोर अंधकार में भी अनुकूल वायु परमात्मा की कृपा से चल रही है। इस जर्जित नौका के करोड़ों छिद्रों को भी परमात्मा ने भर दिया है। परमात्मा स्वयं ही यह नौका बन गए हैं, और सामने बिराजमान हैं। मुझ में कितनी भी कमियाँ हों, लेकिन मेरे प्रभु मुझे छोड़ नहीं सकते।
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हे प्रभु, इन विकट परिस्थितियों को मत बदलो, मुझे ही बदलो। मुझे आपके सिवाय अन्य कुछ भी दिखाई न दे, अन्य कुछ अनुभूत भी न हो। मेरी चेतना में केवल आप ही आप रहें, मैं नहीं। ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२९ मई २०२५

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