Sunday, 4 May 2025

मेरा एकमात्र कर्तव्य परमात्मा के प्रकाश को अपनी पूरी क्षमता और सत्यनिष्ठा से फैलाना है। उस से बड़ा और कोई कर्तव्य मेरे लिए नहीं है। चारों ओर के वर्तमान घटनाक्रम से मैं भ्रमित और विचलित सा हो गया था। यह मेरी कमी थी। अब स्वयं को संयत कर लिया है। यह सृष्टि भगवान की है, मेरी नहीं। मेरे बिना भी उनकी सृष्टि चलेगी। भगवान को मेरी सलाह की कोई आवश्यकता नहीं है। मुझे जब उनसे स्पष्ट आश्वासन और मार्गदर्शन प्राप्त है, तब मेरा किसी भी बात पर उद्वेलित होना मेरी कमी है, जो अब और नहीं होनी चाहिए। अपनी भूल सुधार रहा हूँ। मैं सोशियल मीडिया पर रहूँ या न रहूँ, आप अपने में हृदयस्थ सर्वव्यापक ईश्वर के साथ मुझे हर समय निरंतर पाओगे। एक माइक्रोसेकंड के लिए भी मैं आपसे दूर नहीं हूँ। 

गीता का सन्देश भारत का प्राण है। गीता के उपदेश ही भारत को विजयी बनायेंगे। जीवन की हर समस्या का समाधान गीता में है।
"यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः। तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम॥१८:७८॥"
जहाँ योगेश्वर श्रीकृष्ण हैं और जहाँ धनुर्धारी अर्जुन है वहीं पर श्री, विजय, विभूति और ध्रुव नीति है। ऐसा मेरा मत है।

ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !! ५ मई २०२१



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