Saturday, 24 May 2025

जैसे जैसे हमारी आध्यात्मिक चेतना का विकास होता है, वैसे वैसे असत्य का अंधकार भी हमारी चेतना से दूर होता जाता है।

 जैसे जैसे हमारी आध्यात्मिक चेतना का विकास होता है, वैसे वैसे असत्य का अंधकार भी हमारी चेतना से दूर होता जाता है। हमारे पतन का कारण -- हमारे जीवन में तमोगुण का होना है। चेतना के उत्थान का एकमात्र मार्ग -- अनंत ज्योतिर्मय परमात्मा (ब्रह्म) का ध्यान है। श्रीमद्भगवद्गीता का स्वाध्याय, और सच्चिदानंद परमात्मा का ध्यान करें, यही कल्याण का मार्ग है।

गीता के पुरुषोत्तम योग का भगवान की कृपा से अनुभूतियों द्वारा समझ में आ जाना बहुत बड़ी उपलब्धि है। इस अनुभूति के पश्चात कूटस्थ सूर्यमण्डल में पुरुषोत्तम का नित्य नियमित ध्यान करें। आप कृतकृत्य और कृतार्थ हो जायेंगे। इस समय इसके अतिरिक्त मुझे कुछ भी नहीं कहना है। हरिः ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
२१ मई २०२५

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