अंतर्राष्ट्रीय योग-दिवस पर संकल्प .....
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इधर-उधर की फालतू बातों पर मुझे ध्यान नहीं देना चाहिए| मेरी अंतर्प्रज्ञा मुझे निरंतर चेतावनी दे रही है कि इस मोटर-साइकिल (मनुष्य-देह) का अब कोई भरोसा नहीं है| समय बहुत कम है| आने वाला समय अत्यधिक चुनौतीपूर्ण है| काम बहुत बाकी है| सत्यनिष्ठा से जो भी समय बचा है उसमें .(१) नित्य नियमित ऊर्जादायी व्यायाम (Energization exercises) करो|
(२) हंसःयोग (अजपा-जप) व नाद-श्रवण द्वारा परमात्मा का अधिकतम ध्यान करो| (३) क्रियायोग उपासना नियमित करो व क्रिया की परावस्था (ब्राह्मी स्थिति) में रहने का नित्य-नियमित वैराग्यपूर्वक अभ्यास करो|
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ब्रह्मरंध्र से बाहर की सर्वव्यापी अनंतता से भी परे परम ज्योतिर्मय कूटस्थ ब्रह्म परमशिव ही मेरे उपास्य हैं| वे ही मेरे इष्ट हैं, वे ही भगवान वासुदेव हैं, वे ही विष्णु हैं और वे ही पारब्रह्म परमेश्वर हैं| उन्हीं में मेरी स्थिति हो| कहीं कोई भेद न हो| ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२० जून २०२०
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