जीवात्मा और परमात्मा का मिलन ही योग-दर्शन है|
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जिस मोटर-साइकिल (मनुष्य-देह) पर हम यात्रा कर रहे हैं, वह भी अच्छी हालत में होनी चाहिए|
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में ....
Yoga is an art of motorcycle maintenance.
इसे समझ कर ही हम आगे की बात समझ सकेंगे| यह मूलभूत बात है| हृदय में परमात्मा को पाने की अभीप्सा, परमप्रेम और उपासना ही मेरा स्वधर्म, स्वभाव व जीवन हैै। इसी में सनातनधर्म और राष्ट्र का हित निहित है।
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जिस वाहन पर यह लोकयात्रा कर रहा हूँ, उस वाहन की क्षमता व हालत अब बिल्कुल भी ठीक नहीं है. सिर्फ दृष्टिकोण बदल गया है. यह वाहन भी "वे" हैं और वाहक भी "वे" ही हैं.
He is the pilot of this aircraft and the fragile aircraft too.
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सभी प्राणियों को मैं नमन करता हूँ, क्योंकि प्राण रूप में स्वयं परम-पुरुष भगवान नारायण उन में उपस्थित हैं।
प्राणान्नमो भगवते पुरुषाय तुभ्यम् ---
ध्रुव उवाच -
योऽन्तः प्रविश्य मम वाचमिमां प्रसुप्तां
अन्यांश्च हस्तचरणश्रवणत्वगादीन्
प्राणान्नमो भगवते पुरुषाय तुभ्यम् ॥ - श्रीमद् भागवतम् ४.९.६
अर्थात् -- हे प्रभो! आपने ही मेरे अंतःकरण में प्रवेश कर मेरी सोई हुई वाणी को सजीव किया है, तथा आप ही हाथ,पैर कान और त्वचा आदि इंद्रियों को चेतना प्रदान करते हैं। मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं।
Prostration to You, O Bhagavān, the supreme Consciousness, possessor of all powers, who, having entered my being, has activated my dormant speech, and likewise has empowered the other organs such as the hands, feet, ears, skin and all the vital forces, by virtue of His mere Presence.
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