अपने दिन का आरम्भ भगवान के गहनतम ध्यान से करें| पूरे दिन भगवान को अपनी स्मृति में रखें और रात्री को सोने से पूर्व पुनश्चः गहनतम ध्यान कर के ही सोयें| भगवान ने हमें एक दिन में २४ घंटे दिए हैं, उसका दस प्रतिशत भाग यानि लगभग २.५ घंटे तो एक दिन में भगवान को समर्पित होने ही चाहियें, जिनमें सिर्फ भगवान का ही ध्यान हो| जब तक भगवान हमारे हृदय में धड़क रहे हैं तभी तक बाहर का विश्व है| जिस क्षण भगवान हमारे हृदय में धड़कना बंद कर देंगे उसी क्षण हमारा सब कुछ छिन जाएगा, धन, संपत्ति, घर, परिवार मित्र, सगे-सम्बन्धी यहाँ तक कि यह पृथ्वी भी|
भगवान ही हमारे शाश्वत मित्र हैं, जन्म से पूर्व भी वे ही थे और मृत्यु के पश्चात भी वे ही रहेंगे| वे ही माता-पिता, भाई-बहिनों और सम्बन्धियों-मित्रों के रूप में आये और वे ही सदा साथ रहेंगे| हमें जो भी प्यार मिला है वह सब भगवान का ही प्यार था जो उन्होंने विभिन्न रूपों में दिया| अतः ऐसे शाश्वत प्रेमी से मित्रता और सम्बन्ध बनाए रखना सर्वोत्तम है|
यह संसार एक पाठशाला है जहाँ यह पाठ हमें निरंतर पढ़ाया जा रहा है| वह पाठ सबको एक न एक दिन तो सीखना ही पड़ेगा| यह हमारी मर्जी है कि हम उसे देरी से सीखें या शीघ्र| पर जो नहीं सीखेंगे, उन्हें प्रकृति ही सीखने को बाध्य कर देगी| अतः भगवान से प्रेम करो, यही इस जीवन का सार है|
ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ ॐ ॐ !!
१४ जून २०१९
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