लव-जिहाद रोकने के लिए हिन्दू समाज में विवाह भी शीघ्र हों। २४-२५ वर्ष तक की आयु के युवक का और १८-२२ वर्ष तक की आयु की युवती का विवाह हो जाना चाहिए। Career व settle और पढ़ाई-लिखाई -- विवाह के बाद भी हो सकती है। यह एक ऐसी आयु है जिसमें विपरीत लिंग यानि opposite sex के प्रति आकर्षण सबसे अधिक होता है। इस आयु में विवाह हो जाना चाहिए।
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आजकल हिंदुओं में विवाह के समय वर की आयु लगभग ३५ वर्ष की होती है, और वधू लगभग ३० वर्ष की। वे न तो अच्छी संतान को जन्म दे पाते हैं, और न ही ठीक से उसका पालन-पोषण। जब तक उनकी संतान दसवीं उतीर्ण करती है तब तक माँ-बाप सेवा-निवृत हो जाते हैं। उनके पास संतान को अच्छी शिक्षा देने के लिए धन नहीं रहता। परिवार में सदस्यों की संख्या कम होने से पारिवारिक संबंध भी समाप्त होते जा रहे हैं।
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लगता है आने वाले कुछ वर्षों में -- भाई भाभी, देवर देवरानी, जेठ जेठानी, काका काकी, ताऊ ताई, भुआ भतीजा/भतीजी, मामा मामी, जैसे अनेक संबंध हिन्दुओं के घरों से सदा के लिए समाप्त हो जाएंगे। बस ढाई-तीन लोगों के परिवार बचेंगे। कुल मिलाकर इस एक परिवार में एक बालक/बालिका के चलन और अहंकार के कारण, हिंदुओं की जनसंख्या बहुत कम हो जाएगी और हिंदुओं की हत्या कर के उनके घरों पर अधर्मी लोग अधिकार कर लेंगे। पढे लिखे समर्थवान हिंदुओं की घटती हुई जनसंख्या चिंता का विषय है।
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अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए हमें अपने विचार बदलने होंगे, और स्वार्थ छोडने होंगे। नहीं तो हिन्दू जाति का नाम इतिहास में ही रह जाएगा।
१ जून २०२३
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