अक्षय तृतीया समस्त मानवता के लिए मंगलमय हो ---
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भारत के लिए इसका महत्व विशेष है क्योंकि इस दिन परशुराम जयंती पडती है|
भारत की वर्तमान परिस्थितियों में भगवान परशुराम के भाव की सर्वाधिक आवश्यकता है| यदि हम अपने धर्म और राष्ट्र की रक्षा करना चाहते हैं तों हमें परशुराम की तेजस्विता और चरित्र को स्वयं मे अवतरित कर स्वयं परशुराम बनना होगा|
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योग-दर्शन का एक सूत्र है --- 'वीतराग विषयं वा चितः'| यानि किसी वीतराग के बारे मे चिंतन करते करते हमारा चित्त भी वीतराग बन जाता है|
महाभारत में एक यक्ष प्रश्न के उत्तर मे महाराज युधिष्ठिर कहते है --- 'महाजनो येन गतः सः पन्थाः'| अर्थात महापुरुष जिस मार्ग पर चले हैं वह ही सही मार्ग है|
आज के समय हमें भगवान परशुराम जैसे व्यक्तित्व के मार्ग पर चलने की आवश्यकता है|
यदि आप के एक हाथ मे शास्त्र हैं तों उसकी रक्षा के लिए दूसरे हाथ मे शस्त्र भी होने चाहिएं| हमारे सभी देवी-देवताओं के हाथ मे शस्त्र हैं| अब समय आ गया है कि हमें धर्म-रक्षा के लिए शास्त्र और शस्त्र दोनों धारण करने होंगे| चरित्रवान और तेजस्वी भी बनना होगा, अन्यथा हम नष्ट हो जायेंगे|
भगवान परशुराम कि जय| सनातन हिंदू धर्म कि जय|
समस्त सृष्टि का कल्याण हो|
२५ अप्रेल २०१२
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