Wednesday, 9 May 2018

भारत की भौगोलिक स्थिति और तूफ़ान ......

भारत की भौगोलिक स्थिति और तूफ़ान ......
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विश्व में भारत की भौगोलोक स्थिति और जलवायु सर्वश्रेष्ठ है| यहाँ सब से कम तूफ़ान आते हैं| अंग्रेजी में तीन शब्द हैं .... टाइफून, हरिकेन व साइक्लोन| इनमें अंतर बताता हूँ| जब प्रशांत महासागर में व उसके तटीय क्षेत्रों में तूफ़ान आता है तो उसे टाइफून कहते हैं, अटलांटिक महासागर में हरिकेन, व हिन्द महासागर में साइक्लोन|
भारत में सबसे कम तूफ़ान आते हैं ....साल में अधिक से अधिक तीन-चार बार और वे भी इतने शक्तिशाली नहीं होते|
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तूफ़ान ही देखने हैं तो सर्दियों में प्रशांत महासागर में फिलिपाईन्स के लुज़ॉन द्वीप के उत्तर-पूर्व में, ताइवान के दक्षिण-पूर्व में, और जापान के पूर्वी तट पर देखिये| एक के बाद एक तूफानों की श्रुंखला आती है और वे तूफ़ान भारत में आने वाले तूफानों से चार-पाँच गुना अधिक शक्तिशाली और भयंकर होते हैं|

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सर्दियों में अटलांटिक महासागर में भी फ्लोरिडा से सान-जुआन और बरमूड़ा के बीच का क्षेत्र बहुत अशांत रहता है| और भी अनेक क्षेत्र हैं जहाँ बहुत तूफ़ान आते हैं| भूमध्य रेखा से नीचे की तो मैंने अभी तक बात ही नहीं की है| इन सब क्षेत्रों में प्रकृति के विकरालतम रूपों का थोड़ा थोड़ा दर्शन मैनें भी प्रत्यक्ष रूप से किया है|

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भारत में बवंडर यानी टोर्नेडो भी हल्का-फुल्का सा कई वर्षों में एक बार आता है, जब की उत्तरी अमेरिका के उत्तर में तो हर साल कई महाविनाशाकारी टोर्नेडो आते हैं| बवंडर को हाथीसूंड भी कहते हैं|
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भूमध्य रेखा से ऊपर यानि उत्तरी गोलार्ध में ये तूफ़ान वामावर्त यानि counter-clockwise व भूमध्य रेखा से नीचे यानि दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिणावर्त यानि clockwise रूप से घूमते हैं|
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हम भाग्यशाली हैं की हमने ऐसे देश में जन्म लिया है जहाँ की जलवायु और मौसम विश्व में सर्वश्रेष्ठ है|

ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
८ मई २०१८
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पुनश्च: --- समुद्री तूफानों के बारे में --- जो समुद्री तूफान भूमध्य रेखा से नीचे आते हैं, वे दक्षिण दिशा की ओर अग्रसर होते हैं। जो समुद्री तूफान भूमध्य रेखा से ऊपर आते हैं, वे उत्तर दिशा की ओर अग्रसर होते हैं। पृथ्वी के भीतर कुछ अज्ञात चुम्बकीय रेखाएँ होती हैं, जिनके अनुसार ये अपना मार्ग बनाते हैं। अरब सागर में द्वारका, और बंगाल की खाड़ी में जगन्नाथपुरी के क्षेत्र में कुछ अज्ञात आकर्षण है जो वहाँ के समुद्र में वायुमंडल के कम दबाव के क्षेत्र को अपनी ओर आकर्षित करता है। इसीलिए वहाँ हर वर्ष समुद्री तूफान आते हैं।
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समुद्री तूफानों का एक निश्चित चक्र होता है जो हर वर्ष प्रकृति के नियमों के अनुसार निर्मित और संचालित होता है। प्रकृति के नियमों को समझना पड़ता है। प्रकृति अपने नियमों से चलती है, न कि मनुष्य के बनाए नियमों से। समुद्र में कम दबाव के क्षेत्र जिन्हें हम तूफान कहते हैं, यदि नहीं बनेंगे तो पृथ्वी पर वर्षा नहीं होगी।
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चंद्रमा के घटने बढ़ने का समुद्र के जल पर विशेष प्रभाव पड़ता है, जिस के कारण ज्वार भाटा आता है। गृह-नक्षत्रों का भी प्रभाव पड़ता होगा, जिस पर कोई आधुनिक अनुसंधान नहीं हुए हैं। भारत में सन १९७९ के समय से मौसम विज्ञान पर बहुत बड़े बड़े खूब अनुसंधान हुये हैं। इस विषय पर भारत अब एक अग्रणी देश है।
१६ जून २०२३

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